चीन के सामने नई परेशानी: बर्थ रेट 43 साल के सबसे निचले स्तर पर, इस साल 1% से भी कम रही जन्मदर


बीजिंग2 घंटे पहले

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दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश चीन, इन दिनों बर्थ रेट में भारी गिरावट का सामना कर रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स की रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, चीन में बच्चों की जन्म दर 2020 में 1% से भी कम हो गई है, ये 43 साल में सबसे कम है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर यही ट्रेंड जारी रहता है और जनसंख्या कम होती है, तो चीन दुनिया का सबसे अमीर देश बनने से पहले ही बूढ़ा हो सकता है। नए आंकड़ों से चीन में जनसंख्या से जुड़ी परेशानियों का पता चलता है। चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 की पहली 3 तिमाहियों में यहां 58.8 लाख शादियां हुई थी। जो 2019 की तिमाही की तुलना में 17.5% कम हैं।

तेजी से बूढ़ी हो रही आबादी
यहां 2020 में नवजात शिशु दर 15 % गिर गई थी। यहां 2020 में करीब 1.03 करोड़ बच्चों ने जन्म लिया था। 2019 में यह संख्या 1.17 करोड़ थी। यह मुद्दा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि काम करने वाले लोगों की उम्र रिटायरमेंट के करीब पहुंच रही है।

जन्म लेने बच्चों की संख्या में कमी की एक वजह कोरोना भी है।

जन्म लेने बच्चों की संख्या में कमी की एक वजह कोरोना भी है।

रिसर्चर्स का कहना है कि, बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की संख्या में कमी की वजह से ऐसा हो रहा है। कोरोना की वजह से जन्म लेने बच्चों की संख्या घटी है। चीन लगातार घट रही युवाओं की संख्या और तेजी से बूढ़ी हो रही आबादी की वजह से परेशान है। 2020 में चीन में प्रति हजार लोगों पर बर्थ रेट 8.52 है। 2019 में यह आंकड़ा 10.48 था। बर्थ रेट कुल जनसंख्या में जन्मे बच्चों की संख्या है।

इस साल मई में बदली चाइल्ड पॉलिसी
चीन में बर्थ रेट कई सालों लगातार गिरती जा रही है। चीन ने इस साल मई में विवाहित जोड़ों को अधिकतम 3 बच्चे पैदा करने की अनुमति देकर पुरानी फैमिली प्लानिंग पॉलिसी को हटाने की घोषणा की थी। यह नियम 4 साल तक देश के नवजात शिशुओं की संख्या में गिरावट देखने के बाद लाया गया था । इससे पहले चीन ने 2016 में वजह से यहां 1970 से चल रही वन चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव किया था।

चीन की इस परेशानी के कुछ कारण

  • मातृत्व दर 1.3% है। यहां अब भी कपल्स एक से ज्यादा बच्चे नहीं चाहते।
  • वन चाइल्ड पॉलिसी की वजह से जेंडर गैप बढ़ा। बेटियों की भ्रूण हत्या कर दी गई। फिलहाल, करीब 112 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं। 2010 में यह 118 पुरुषों पर 100 महिलाएं थीं। यानी इस मामले में हालात बेहतर हुए।
  • युवा एजुकेशन और कॅरियर पर काफी फोकस कर रहे हैं। कई बार वे कॅरियर बनाने के चक्कर में परिवार से दूर हो जाते हैं
  • कोरोना दौर के दौर कमजोर अर्थव्यवस्था भी एक कारण

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