यूक्रेन में युद्ध के बीच पीरियड पॉवर्टी से जंग: पैड वुमन ने समझा यूक्रेनी महिलाओं का दर्द, सैनिटरी नैपकिन पहुंचाने का बीड़ा उठाया

यूक्रेन में युद्ध के बीच पीरियड पॉवर्टी से जंग: पैड वुमन ने समझा यूक्रेनी महिलाओं का दर्द, सैनिटरी नैपकिन पहुंचाने का बीड़ा उठाया


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कीव4 घंटे पहले

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रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात बेहद खराब हो गए हैं। लोगों के पास न रहने के लिए घर बचा है और न ही खाना-पानी, ऊपर से मौत हर वक्त आसमान में मंडरा रही है। इस बीच यूक्रेनी महिलाओं की मदद के लिए चेम्सफोर्ड, एसेक्स की 22 वर्षीय एला लैम्बर्ट आगे आई हैं। एला ने पीरियड पॉवर्टी हटाने के लिए यूक्रेनी महिलाओं तक डिस्पोजेबल सैनिटरी पैड पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। उनका उद्देश्य यूक्रेनी महिलाओं और शरणार्थियों तक सैनिटरी पैड पहुंचाना है।

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहीं एला ने कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में घर पर सैनिटरी पैड बनाने सीखे थे। इसके बाद जरूरतमंदों तक इन्हें पहुंचने का काम शुरू किया। पीरियड्स के दौरान होने वाली दिक्कतों को समझते हुए अब तक एला हजारों असहाय महिलाओं को पैड बांट चुकी हैं।

एला ने मार्च 2020 में शुरू किया प्रोजेक्ट
बीबीसी से बातचीत के दौरान एला लैम्बर्ट ने बताया कि रूस और यूक्रेन के युद्ध ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि यह हमारे साथ भी हो सकता हैं। मार्च 2020 में उन्होंने शरणार्थियों के लिए वॉलेंटियर्स के साथ मिलकर पाचामामा नामक डिस्पोजेबल सैनिटरी पैड बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद कई लोगों को मदद के लिए आगे आते देखा।

वर्तमान में 1500 वॉलेंटियर्स एला के ग्रुप में जुड़े हैं, जो अपने हाथों से पाचा पैड बनाते हैं। उनका ग्रुप रोमानिया और मोल्दोवा में यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए डिस्पोजेबल सैनिटरी प्रोडक्ट्स बनाने के लिए धन जुटा रहा है। प्रोजेक्ट का सामान चेम्सफोर्ड, एसेक्स में एला के घर पर रखा है। वॉलेंटियर्स ने 50 हजार से ज्यादा पाचा पैड और उनके बैग बनाए गए हैं, जो करीब 5 हजार महिलाओं को दिए जा चुके हैं।

पांच साल तक धोकर यूज कर सकते है पैड्स
एला ने कहा कि जब से यूक्रेन में युद्ध शुरू हुआ है, तब से 200 से अधिक लोग ग्रुप से जुड़े हैं। अभी तक ग्रीस, तुर्की, यूएस, यूके, लेबनान और युगांडा में शरणार्थियों और असहाय लोगों को ही पैड भेजे जाते थे। लेकिन उम्मीद है कि जितनी तेजी से ज्यादा से ज्यादा पैड बनकर तैयार होंगे, उन्हें यूक्रेन और उसके सीमावर्ती देशों में भेजा जाएगा। ग्रुप की ओर से महिलाओं को चार पैड दिए जाते हैं, जिन्हें धोने के बाद दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। इन्हें करीब पांच साल तक धोने के बाद यूज कर सकते हैं।

एला ने बताया कि “मैं ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में स्पेनिश और रूसी भाषाओं की पढ़ाई कर रही हूं। 2020 में रूस जाने की तैयारी कर रही थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण नहीं जा पाई। हालांकि, अब मेरा रूस जाने का कोई प्लान नहीं है, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं भाषा जानती हूं। हम लोगों की सोच बदल रहे हैं, जो लोग गरीबी के दौर के बारे में नहीं जानते थे और अब वे समझ रहे हैं।”

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